किसान बिल - अच्छा है की बुरा ,... ये कहने की समझ नहीं है मुझमे पर ,...
पर जो पता है,... वो ये,...की हमारे दादा / नाना एक कहावत कहते थे ,...
"उत्तम खेती मध्यम बान,.... निषिद चाकरी भीख निदान"
इस कहावत के हिसाब से ,... खेती सर्वोत्तम थी और चाकरी (नौकरी) निम्नतम।
लेकिन अब विकास के साथ साथ ,... ये कहावत एकदम गलत सिद्ध हो रही है ,... आज की हकीकत यही है की,..
की खेती किसानी,... दिहाड़ी मजदूरी के सामने भी,.. कहीं नहीं टिकती।
हमें अच्छे से याद है,...
जब गेंहू का दाम पाँच/छह रुपये किलो था तब ,... तब गाँव में दिहाड़ी मजदूरी 40 - 50 रुपये थी
अब ,...
अब दिहाड़ी मजदूरी 500 के करीब तो ,... तो इस हिसाब से गेंहूँ की कीमत 50 - 60 होनी चाहिए थी ,...
लेकिन आज गेंहू की कीमत क्या है ,... ये आप सबको पता है
पता है की नहीं पता है ?? पता है ना ??
ना ना ,... वो कीमत नहीं - जिस पर आप खरीदते हो ,....
अरे दोस्त हम उस कीमत की बात कर रहे है जिस पर किसान को बेंचना पड़ता है।
किसान के बेंचने की कीमत ,....
अलग अलग राज्यों में ,... बल्कि अलग अलग जिलों में - अलग अलग है ,...
लेकिन एक बात जो सब जगह सही है वो ये की ,.... पूरे देश में कहीं भी गेंहूँ का दाम सरकार द्वारा तय MSP से ज्यादा नहीं है ,...
MSP ,... MSP सिर्फ हरियाणा पंजाब के किसानो को ही मिल पाती है ,... हमने हमारे गाँव के आस पास तो कभी MSP या मंडी का नाम भी नहीं सुना था
लेकिन ,...
लेकिन सवाल MSP के मिलने ना मिलने का नहीं है ,... सवाल है खेती किसानी - किसानों के हालात सुधारने का ?? वो कैसे सुधरेंगे ??
हमारी पारम्परिक खेती के माध्यम से तो ये ,.... दिहाड़ी मजदूरी से भी बुरी तरह पिछड़ती है ,...
हालत सुधारने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा ,... पर ,.. क्या वो कुछ ना कुछ इन "किसान बिलों" से संभव है ??
सरसरी नजर से देंखे तो शायद नहीं ,.. शायद क्या बिलकुल नहीं।
पर ,...
पर जिस तरह से दूध से मख्खन निकालने के लिए उसे बिलौना होता है उसी तरह से ,.... खेती से मख़्कन निकालने के लिए पारम्परिक तरीके को भी बिलौना पड़ेगा ,...
बिलोते - बिलोते ,... कहीं ना कहीं मख्खन निकलेगा जरूर ,....
मेरा समर्थन किसान बिल को इस लिहाज से है की ,...
की ये खेती को बिलोना है ,... और मेरा जो विरोध किसान बिलों से है वो ये की ,...
इसमें ,... कोई न्यूनतम दाम की व्यवस्था नहीं ,... और बिना न्यूनतम दाम के ,... बड़े बड़े व्यवसाई /व्यापारी ,... किसानो का वही हाल करेंगे ,... जैसे ,..
जैसी आपके पास की आटा पीसने वाली चक्की की ,... पैकेट बंद आटे ने ,...
जैसी टकटकाते टाइप राइटर की ,.... कंप्यूटर ने की ,...
जैसी नोकिया के लोहालाट मोबाईल की ,... टच स्क्रीन मोबाईल ने की ,...
खतरा तो है ,... पर खतरा किस बात का है ??
खतरा है भविष्य की अनिश्चितता का ,... परन्तु सच है की ,... ढर्रे पर चलती व्यवस्था भी खतरा ही है ,...
तो ,...
तो एक तरफ कुआँ है दूसरी तरफ खाई ,....
किसान बिल का समर्थन या विरोध करने से पहले ,... ये जरूर सोंचना ,...
भविष्य में अनिश्चितता तो है - पर ढर्रे पर चलती व्यव्य्स्था का अंजाम सुनिश्चित है।
अंत में साफ़ कर दें की ,.. किसान बिल को मेरा समर्थन तो है ,... लेकिन न्यूनतम खरीद दाम एक माँग भी।
अंत में दादा जी की एक और कहावत सुना दें ,...
"खेती उत्तम काज है,,... इहि सम और न होय,...
खाबे कों सबकों मिलै,... खेती कीजे सोय॥"
खेती सर्वोत्तम कार्य है, इसके बराबर कुछ और नहीं,... यह सबको भोजन देती है किसी को (ना सिर्फ मनुष्य वरन पशु - पक्षी जीव जंतु) भूखा नहीं रहने देती,.. इसलिये खेती करनी चाहिये।
#NagShukl
No comments:
Post a Comment