हमारी एक माँ है ।।इसको गाँव
के लोग भारत ।।पढ़े लिखे लोग इन्डिया और इसके दीवाने भारत माता कहते हैं ।
आज़ादी के बाद से ही इसके सीने पे इसके ही देखरेख करने वाले ठेकेदारों ने
जख्म देने शुरू कर दिए ।।।
लेकिन उन जख्मों को को जब सबने देखा और पूछा ये क्या है ।।हमने उन जख्मों
का इलाज नहीं किया ।।बस उसके उपर एक धुली हुई सफ़ेद चादर डाल दी और बोला
।।ये देखो मेरा भारत महान ।।।।।
समय बढ़ता गया और समय के साथ जख्म भी बढ़ता गया ।।।फिर उस जख्म से बदबू भी
आनी शुरू हो गई ।।सबने पूछा ये क्या है ।।।हमने उस सफ़ेद चादर पर खुशबू
बिखेर दी ।।बदबू आनी बंद हो गई ।।हमने फिर बोला ।।।देखो मेरा भारत महान
।।।।
समय के साथ जख्म और बढ़ता गया ।।हमने जख्म का उपचार नहीं किया उल्टा और जख्म
देते गए और सफ़ेद चादर से ढकते गए ।।
अब हालात ये हैं की कोई भी सफ़ेद खुशबूदार कपडा उस जख्म को छुपाने में नाकाम
हो रहा है ।।।जख्मों से सड़ांध आनी शुरू हो गई है ।।
इस हाल के जिम्मेदार शायद हम सब हैं । चाहे हम राजनितिक हों या गैर
राजनितिक ।।।हम सभी कहीं न कहीं अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं ।।।आज सभी
पूछ रहे हैं ये जख्म और इतनी सड़ांध कहाँ से आ गई।।।।।। हो सकता है अभी भी
कुछ लोग यही कहें ये तो कुछ नहीं है जी ।।।मेरा भारत महान ।।।।
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