आज
से 12 साल पहले जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी और दिल्ली में शीला
दीक्षित की सरकार थी, तब 11 सितंबर 2002 को शीला दीक्षित की सरकार ने गृह
मंत्री लाल कृष्ण आडवानी के इस गैर संवेधानिक आदेश का खुलकर विरोध किया था
जिसमे दिल्ली विधानसभा से उसके कानून बनाने की शक्तियां छीन ली गयी थी। इस
के लिए शीला दीक्षित ने बाकायदा एक दिन का विषेश विधानसभा सत्र बुलाकर इस
आदेश के विरुद्ध resolution पास किया था।
तब बीजेपी ने सदन से वाक् आउट किया था। उस समय शीला दीक्षित की सरकार ने कहा था की उपराज्यपाल दिल्ली की केबिनेट की सलाह पर काम करे, केंद्र के इशारों पर नही। तब खुद शीला दीक्षित ने इस आदेश को गैर संवेधानिक करार दिया था और आज वही कांग्रेस, बीजेपी और उपराज्यपाल मिलकर इस गेर-संवेधानिक कानून की आढ़ में संविधान की दुहाई दे रहे है, ये विचित्र कम और हास्यास्पद ज्यादा लगता है।
http:// www.hindustantimes.com/ india-news/newdelhi/ 12-years-ago-sheila-dikshit -was-on-arvind-kejriwal-s- side/article1-1182516.aspx
तब बीजेपी ने सदन से वाक् आउट किया था। उस समय शीला दीक्षित की सरकार ने कहा था की उपराज्यपाल दिल्ली की केबिनेट की सलाह पर काम करे, केंद्र के इशारों पर नही। तब खुद शीला दीक्षित ने इस आदेश को गैर संवेधानिक करार दिया था और आज वही कांग्रेस, बीजेपी और उपराज्यपाल मिलकर इस गेर-संवेधानिक कानून की आढ़ में संविधान की दुहाई दे रहे है, ये विचित्र कम और हास्यास्पद ज्यादा लगता है।
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