Thursday, January 12, 2017

एक बार ,... हम अपने कुछ दोस्तों के साथ ,... दारू पी रहे थे ,...

एक बार ,...
हम अपने कुछ दोस्तों के साथ ,... दारू पी रहे थे ,...
हाँ भाई ,... दारु पी रहे थे ,...

तब ,... बातों - बातों में ,... उनमे से एक ने बोला ,....
"ये convent के बच्चे ,... दिखने में ,.... Uncle हो जाते है ,...
पूँछो ,.. किस class में ,....
जवाब आता है ,... जी 8th में ",....

बात दारु के समय की थी ,.... सब हँसे ,...
पर थी बड़ी ,... गहरी और सही ,...

पर दुःख ,....
पर दुःख ,... अब हम भी वही करने को मजबूर है - जिस पर हंसे ,...
क्योंकि ,...
हमारी तो कोई - शिक्षा पद्धति बची ही नहीं ,....
जब हमारी कोई शिक्षा पद्धति बची ही नहीं तो ,...
तो मजबूर है ,....
उनकी अपनाने को ,....

विकास A फॉर Apple से ,..

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,.....
अगर हम सिर्फ इतना लिख कर छोड़ देते ,... तो
कितनो को ,... और क्या याद आता ???
आपका तो पता नहीं ,... पर हमें,...
सिर्फ,...
सिर्फ और सिर्फ एक नाम याद आता,...की हाँ ,...
कोई था "भारतेन्दु हरिश्चन्द्र",....
और यही बात तब भी सत्य होती - जब हम ,...
"आचार्य रामचंद्र शुक्ल" लिख के छोड़ देते या ,...
या ,... 'मैथिलीशरण गुप्त",... या ,... "सूर्यकांत त्रिपाठी",...
या कोई भी ऐसा नाम लिख देते ,...
परंतु ,...
परंतु ,... यदि हम लिख देते ,... "शेक्सपियर" या लिख देते ,...
"टैगोर",... या लिख देते "हरिबंश राय",...तो ,..
तो ,... हमारे साथ - साथ ,... आपको भी ,...
ना सिर्फ नाम याद आता ,... वरन उनका व्यक्तिव ,... चरित्र ,... रचनायें ,...
आदि - इत्यादि ,... याद आता ,...
है की नहीं ???
यदि ये सही है तो ,...
तो सवाल उठता है की ,... ऐसा क्यों है ???
क्यों भुला दिया ,.. हमने तुमने ,... इन सबको ??
क्या अर्थहीन थे ??
क्या इन्होंने अपना जीवन - व्यर्थ गुजार दिया ??
क्या इन्होंने ऐसा कुछ नहीं दिया ,... जिसे पढ़ा और गुना जा सके ??
यदि ये सही है तो ,... वाकई इनका नाम ,... इनकी सोंच शख्सियत सब मिट जानी चाहिये ,...
परंतु ,...
"सोंच शख्सियत सब मिट जानी चाहिये",.... के सवाल पर ,... हाँ
हाँ बोलने से पहले ,...
ज़रा इसे पढ़ो ,...
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।
अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन ।
और,... और अब इसे पढ़ो ,....
नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रह के निज नाम करो।
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो!
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो।
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को।
क्या लगा - पढ़ कर ??,...
क्या ये सब व्यर्थ था ?? क्या ये सब अर्थहीन है ??,...
क्या इसे मिट ही जाना चाहिए ???
गर ऐसा लगा तो ,... ठीक ,...
कोई बात नहीं ,... परंतु ,...
यदि ऐसा नहीं लगा तो ,...
तो ,... क्या ???
तो भी ,...
इसे मिटना ही पड़ेगा ,... समय के साथ - साथ ,...
ठीक वैसे ही ,... जैसे ,...
जैसे ,...पुराण मिटे ,.... वेद मिटे ,....
रामायण मिटी ,... गीता मिटने को है ,....
और ऐसा क्यों हुआ ??,... क्योंकि ,...
हम और तुम ,... और सब,...
व्यस्त है ,...
व्यस्त है ,.... अपने ,...
अपने बच्चो के ,... समाज के ,... देश के ,... जाति के,... धर्म के ,... विकास में ,...
विकास ,....
विकास जो शुरू होना चाहिये था ,...
वहाँ से ,... जहाँ से इन्होंने छोड़ा था ,...
पर नहीं ,...
विकास शुरू होता है ,....
A फॉर Apple से ,...
पता है विकास क्यों शुरू होता है ??? A फॉर Apple से ,...
क्योंकि ,... मिटाने की ,... भूलने की,....
आदत है हमारी ,...
नहीं होगा विकास ,...
और तब नहीं होगा विकास ,...
जब तक शुरू होगा ,... ये ,...
A फॉर Apple से ,...
क्योंकि ,... इस बात पर तो ,... तुमको भरोषा जरूर होगा ,...
"Re-inventing the wheel - is waste of time,..."
बाँकी ,...
बाँकी ,... हम भी व्यस्त है ,... तुमभी व्यस्त है ,...
विकास में ,... A फॉर Apple से ,...
हो चुका विकास ,...
यूँ पीछे ,... चल चल के ,...
हो चुका विकास ,...
यूँ भूल के - भुला के ,... मिटा के ,...
A फॉर Apple से ,...
दोस्त ,...
विकास हुआ जिनका भी ,...
चाहे चीन हो ,... जापान हो ,... जर्मनी हो या फ़्रांस हो ,...
A फॉर Apple से ,... नहीं ,...
वहाँ से ,... जहाँ से ,...
आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी मिली - उनको ,...
पर तुम ,.. पर हम ,... व्यस्त है ,...
चलो ,.. लग जाओ विकास में ,... अब ,...
तुम भी ,... हम भी ,... #NagShukl

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Friday, January 6, 2017

लिख तो हम ,... पूरी महाभारत देते ,...

दोस्त ,....
लिख तो हम ,... पूरी महाभारत देते ,...
पर  दुःख ,... कलयुग में ,.. हमें ,...

हर तरफ ,... सिर्फ ,...

सिर्फ ,... दुर्योघन दिखे ,...
धृतराष्ट्र दिखे ,.... कर्ण दिखे ,... द्रोन दिखे ,...

युधिष्ठिर ,... दिखे ही नहीं ,...
कृष्ण मिले ,.... तो ,.. पर
पर ,...
चुनाव में मसरूफ मिले ,..

क्या ख़ाक ,... हम महाभारत लिखते ,..

क्या बतायें दोस्त ,..... आज खुदा से मुलाक़ात हो गयी ,....

क्या बतायें दोस्त ,..... आज खुदा से मुलाक़ात हो गयी ,....
जिन्दगी में गर ,..... पैसे कमाना ,....
मजबूरी ना होता ,...
हर कोई अपना ,..... खुदा होता ||
धिक्क्कार है उन पर ,....जो खुदा होकर भी ,...हमारे ,......
फंस गये ,... निन्नयानबे के फेर में ||
मैं सिजदे करता रहा खुदा के ,....
और खुदा ,....
और खुदा ,... खुदी में मसरूफ हो गये ||
क्या करूँ ,.... उस खुदा का ??, ....
जो साथ चल ,....
जो साथ चल ,.... चौराहे पे छोड़ ,....
खुद नदारद हो गये ||
आज भी ,.... खाली पड़े है आले ,...
आज भी ,.... खाली पड़े है आले ,...
और हम ,.....
और हम ,..... हम सुबह शाम ,....
नमाज पढ़ते रह गये ||
जो ना दिखते है ,.... ना सुनते है ,...
नदारद है जो , दुनिया से ,...
ना जाने, कब,... और कैसे ,....
हमारे खुदा हो गये ||
उम्र गुजर गयी खुद ,.... खुदा पहचानने में ,....
सब गँवा के जाना ,....
सब गँवा के जाना ,... खुदा बसता है
नोटों में ,.... खुदा बसता है,... वोटों में ||
मुल्ला,....
मुल्ला यूँ ही,... मस्जिद जा जा के ,...
बदनाम हो गया ,... बर्बाद हो गया ||
आज ,...
आज काफ़िर कहते हैं ,... वो मुझे ,..
वो कह सकते है ,... काफ़िर हमें ,... क्योंकि
क्योंकि खुद ,... खुदा से ,...
जिरह करने करने की ,... उनकी औकात नहीं ||
,....#NagShukl #MyFridayEvening

Thursday, December 29, 2016

जहाँ "कर्ता" नहीं विक्रेता की इज़्ज़त हो ,... उसका विकास कैसे हो ??

 'जाके पाँव न फटी बेवाई, सो क्या जाने पीर पराई'
किसान बन कर ही ,.....समझ आयेगी किसान की परेशानी ,...
बाँकी तो सब ज्ञान है ,...

कल ही एक शॉपिंग मॉल की ,... एक बड़ी दूकान में देखा ,....
एक बढ़िया से सजे - धजे ,.... पारदर्शी प्लास्टिक के डिब्बे में ,....
काले तिल के गुड़ वाले करीब 400 ग्राम लड्डू ,.... मूल्य 200 रुपये ,...
दुसरे ऐसे ही सजे धजे डिब्बे में ,...
400 ग्राम ,... बिजरी (अंग्रेजी में Flex Seed) के लड्डू ,... मात्र 280 रूपये ,...

अब ,...
ध्यान आता है ,... काला तिल ,...
मेरे गाँव का भाव ,... 40 रुपये किलो ,.... और बिजरी 50 रूपये ,....

40 रूपये से लेकर ,... 500 रूपये किलो तक का जो सफर ,.... तय किया ,...
इस काले तिल और बिजरी नई ,... उसमे किसान का हिस्से ,.... दमड़ी भी नहीं आई ,...
क्यों ???
क्योंकि किसान को पैकेजिंग करनी नहीं आती ,...

अब ध्यान आता है ,... किसान ,...
इस साल की ही बात है ,...
अभी हम खेत में ,... सरसो बो कर ही हटे थे की ,...
जोरदार बारिस हो गयी ,... सारे बीज बाह गये ,... खैर ,...
खेत दुबारा बोया गया ,...
ईश्वर की कृपा ,... से खेत अच्छा उगा ,.... फसल बढ़िया तैयार ,.... अब पकने वाली है ,...
पर ,...
पिछले 15 दिनों से रोज  ,.... सिर्फ और सिर्फ सरसो की फली के मजबूत होने का इंतज़ार ,...
की पके तो ,.. काटे ,..
और फिर काट के ,.. खलिहान में जमा करें सूखने के लिए ,....
सूखने में 10 - 12 (अगर धुप खिली तो ) लगेंगे ,...

और इस दौरान ,...
और इस दौरान ,... खुदा ना करे ,... कहीं बारिश हुई तो ,...
तो सारा गुड़ - गोबर ,...

बीज बोने से लेकर ,... फसल घर आने तक ,...
किसान संसय में ,.... डरा हुआ ,... इंतज़ार में ,...
प्रभू से ,... इस प्रार्थना में की ,... गुजर जाएँ बचे दिन अच्छे से ,...
तो निकल आये लागत ,...

उधर ,...
40 को 500 बनाने वालो को क्या चाहिये ??,...
सिर्फ विज्ञापन ,... एक महँगी दूकान ,... है सोसाइटी में घुसपैठ ,...

पिछले हफ्ते मिला था ,... पूसा के एक ,... कृषि वैज्ञानिक से ,...
उसने कहा ,...
हमें किसान को ,... "फसल उगाना नहीं ,... उसे बेंचना सिखाना पड़ेगा",...
तभी ,..
तभी शायद कुछ हालात सुधरे ,.....
लेकिन ,..
लेकिन ,.. वो बेचारा किसान ,.... क्या क्या करे ,...
रोज रोज ,.. आँधी तूफ़ान बादल कोहरा पानी के लिए ,...
ईश्वर को मनाये ,.....
या ,... या फिर 40 को 500 बनाने की गणित में उलझे ??

सच है ,...
हमारे देश में ,... "कर्ता की नहीं - विक्रेता की इज़्ज़त है",...
"कर्ता की नहीं - विक्रेता की इज़्ज़त है" ,... और ये बात सत्य है ,..
ना सिर्फ किसान के लिए ,.... वरन ,...
किसान से लगा ,... सॉफ्टवेर तक ,...

जब हर कोई ,... विक्रेता बनेगा ,... कर्ता नहीं ,... तो ,..
तो यही तो होगा ना ,.... जो हो रहा है ,....
चीन में माल बनेगा ,.... और बेचोगे तुम ,... खरीदोगे तुम ,....
और हो चुका "मेक इन इंडिया",....

3 साल गुजर चुके ,...
3 साल गुजर चुके ,... पर खबर नहीं की ,... हमारा "स्किल इंडिया" कहाँ तक पहुँचा ??
और देश ,...
देश के ग्यानी ,अज्ञानी ,... सब उलझे है ,...
नोटबंदी की सफलता - असफलता पर ,....
यूपी - पंजाब की जातिय गणित पर ,...

अरे जमीन पर उतरो ,....
और अपने कारिंदों को जमीन पर उतारो ,.... यूँ ,... फ्री के "जिओ" पर ज्ञान बाँटने से ,...
सिर्फ ,...
सिर्फ ,... समाज बँट रहा है ,.... वो
40 से 500 तक का अंतर ,.... 
40 से 500 तक का अंतर ,.... बराबर नहीं बँट रहा ,....

इस उम्मीद में ,... की 2017 में ,...
हम (पक्ष - विपक्ष दोनों) उन कार्यक्रमो पर ध्यान देंगे ,...
जिससे ,... ख़त्म होता ,.... हुनर निखरे ,...
जिससे "कर्ता" निखरे ,... विक्रेता के साथ ,... #NagShukl

Wednesday, December 28, 2016

आज सुबह जब आँख खुली तो ,....

आज सुबह जब आँख खुली तो ,....
ठंड के बादल उड़ते देखा ,...
बादल कुछ ऐसे थे ,... रुई के फाहे जैसे थे ,...
पीली - पीली ,... खिली थी सरसो ,...
ओस में भीगी ,.... धूल दिखी ,...
शान्त प्रकृति ,.... सबकुछ ठहरा सा ,...

ठंड का पहरा ,... धूप से लड़ता ,...
चन्दा जैसा,...सूरज दिखता ,....
अभिमानी पहाड़ ,... कुछ - कुछ गायब सा ,...
कुछ - कुछ गायब सा ,... अन्धकार ,...
कुछ - कुछ गायब सी ,.... धूप दिखी ,....
आज सुबह जब आँख खुली || ,.... #NagShukl

Saturday, December 24, 2016

Merry Christmas क्रिसमस के पावन पर्व पर आप सभी को ,.... मंगल कामनायें ,..#Christmas

Merry Christmas क्रिसमस के पावन पर्व पर आप सभी को ,.... मंगल कामनायें ,..

क्रिसमस के पावन पर्व पर,....
सबसे पहले ,....
स्वतंत्र भारत में ,... अपने बूते पर ,... पहले सर्वमान्य नेता ,...
आदरणीय ,... अटल जी को ,... जन्म दिन की ,... ढेर सारी शुभकामनायें ,...

दुसरे ,...
क्रिसमस के पावन पर्व ,...
बच्चों धीरज धरो ,.... हमारे घर भी "क्रिसमस गिफ्ट" आयेगा ,...
बस ,.. "सांटा" की जगह "बाल हनुमान" लाएगा ,...
तीसरे ,...
क्रिसमस के पावन पर्व ,... को हम ,...
सुबह ,... "सुन्दरकाण्ड" के पाठ और ,...
शाम को ,.... श्री भैरव बाबा के प्रसाद से मनायेंगे ,....
चौथे ,....
क्रिसमस के पावन पर्व ,...पर गाँव गाँव में ,... चर्च दिखे ,...
हर हर "सांटा" - घर घर "सांटा",... के नारे "स्कूलों" से,,......
पाँचवे ,....
त्योहारों का जब तक ,.... व्यापारिक "एंगल" ना हो ,..
त्यौहार ,... त्यौहार नहीं होता ,... चाहे ,...
चाहे वो ,... होली हो ,... दिवाली हो ,....
ईद हो ,.. भाईदूज हो ,...
रक्षाबंधन या क्रिसमस हो ,...
वैसे ,...
हनुमान जयंती का ,... व्यापारीकरण हो ,...
ये दिली इच्छा ,.... क्रिसमस के पावन पर्व ,...पर #NagShukl #ChaloDeshSudhare