भारतीय मुसलमानो सच्चाई समझो
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ISIS द्वारा क्रूरता की जो तस्वीरें और वीडियो आ रहे है वो न केवल इराक और सीरिया बल्कि भारत के लिए भी खतरे की घंटी है और इस पर भारतीय मुसलमानों का मौन भारत को तबाही के गर्त में ले जा सकता है , भारतीय मुसलमानो को इस बात को गहराई से समझना पड़ेगा की उनकी जड़े हिंदुस्तान में है अरब,इराक या सीरिया में नहीं और इराक में चल रहे क़त्लेआम को उन्हें एक हिंदुस्तानी के नज़रिये से देखना होगा मुसलमान होने की भावुकता से नहीं।
कुछ अतिउत्साहित मूर्खो ने इसे इस्लामिक धर्मयुद्ध के रूप में देखा और योद्धा बनने चले गए इराक और वहाँ का मंज़र देखकर हिंदुस्तान वापस आने के लिए अम्मी को याद कर कर के रोने लगे उस नरक में जाने के बाद समझ में आया "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" कुछ के अनुभव से बाकी लोग समझ ले तो समझदारी है।
वहां सुन्नी शिया लड़ मर रहे है तो भारतीय सुन्नी शिया उससे खुद को न जोड़े क्यूंकि उनका हमारा इबादत का तरीका एक हो सकता है पर सांस्कृतिक रूप से उनकी हमारी कोई समानता नहीं, वो क्रूर कबीलाई लोग है जिन्हे परपीड़ा में सुख मिलता है पर हम सनातनी सुसंस्कृत लोग है जिनका किसी की रंचमात्र पीड़ा को देखकर भी ह्रदय पिघल जाता है और इराक के घटनाक्रम का दूसरा पहलु यह भी है कि यह अमेरिका के "तेल के खेल" का एक हिस्सा है ,फिर भी यहाँ के मुसलमान यदि इराक की क्रूरता से खुद को मुसलमान के रूप में जोड़ते है तो इससे हमारे मुल्क़ का माहौल खराब होगा यहाँ दंगे फसाद होंगे, जिन्हे ये इस्लामी धर्मयुद्ध लग रहा है वो कृपया भारत में वातावरण न बिगड़े सीधा इराक जाये और दोबारा बिलकुल वापस न आयें,
भारतीय मुसलमानो से अपील है की ISIS का खुलकर विरोध करे आपका मौन उन्हें भारत में अपनी ज़मीन तैयार करने प्रोत्साहित करेगा जो हर भारतीय के लिए खतरा है, हम अपने पाक वतन हिंदुस्तान में ये ख़ूनी खेल कदापि नहीं होने देंगे,
अपनी एकता और श्रम से बनाएंगे भारत को पुनः विश्वगुरु .
वन्दे मातरम -.....Faiz
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ISIS द्वारा क्रूरता की जो तस्वीरें और वीडियो आ रहे है वो न केवल इराक और सीरिया बल्कि भारत के लिए भी खतरे की घंटी है और इस पर भारतीय मुसलमानों का मौन भारत को तबाही के गर्त में ले जा सकता है , भारतीय मुसलमानो को इस बात को गहराई से समझना पड़ेगा की उनकी जड़े हिंदुस्तान में है अरब,इराक या सीरिया में नहीं और इराक में चल रहे क़त्लेआम को उन्हें एक हिंदुस्तानी के नज़रिये से देखना होगा मुसलमान होने की भावुकता से नहीं।
कुछ अतिउत्साहित मूर्खो ने इसे इस्लामिक धर्मयुद्ध के रूप में देखा और योद्धा बनने चले गए इराक और वहाँ का मंज़र देखकर हिंदुस्तान वापस आने के लिए अम्मी को याद कर कर के रोने लगे उस नरक में जाने के बाद समझ में आया "सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा" कुछ के अनुभव से बाकी लोग समझ ले तो समझदारी है।
वहां सुन्नी शिया लड़ मर रहे है तो भारतीय सुन्नी शिया उससे खुद को न जोड़े क्यूंकि उनका हमारा इबादत का तरीका एक हो सकता है पर सांस्कृतिक रूप से उनकी हमारी कोई समानता नहीं, वो क्रूर कबीलाई लोग है जिन्हे परपीड़ा में सुख मिलता है पर हम सनातनी सुसंस्कृत लोग है जिनका किसी की रंचमात्र पीड़ा को देखकर भी ह्रदय पिघल जाता है और इराक के घटनाक्रम का दूसरा पहलु यह भी है कि यह अमेरिका के "तेल के खेल" का एक हिस्सा है ,फिर भी यहाँ के मुसलमान यदि इराक की क्रूरता से खुद को मुसलमान के रूप में जोड़ते है तो इससे हमारे मुल्क़ का माहौल खराब होगा यहाँ दंगे फसाद होंगे, जिन्हे ये इस्लामी धर्मयुद्ध लग रहा है वो कृपया भारत में वातावरण न बिगड़े सीधा इराक जाये और दोबारा बिलकुल वापस न आयें,
भारतीय मुसलमानो से अपील है की ISIS का खुलकर विरोध करे आपका मौन उन्हें भारत में अपनी ज़मीन तैयार करने प्रोत्साहित करेगा जो हर भारतीय के लिए खतरा है, हम अपने पाक वतन हिंदुस्तान में ये ख़ूनी खेल कदापि नहीं होने देंगे,
अपनी एकता और श्रम से बनाएंगे भारत को पुनः विश्वगुरु .
वन्दे मातरम -.....Faiz
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