आम आदमी पार्टी की अविश्वसनीय हार के क्या कारण थे आओ इस पर विचार करे।
मेरे अनुसार गलतियाँ अनेक हुई हैं। लेकिन समस्या यह है कि गललतियाँ मानने
को तो कोई तैयार तो हो।
1. मेवात में योगेन्द्र यादव का बयान। हरियाणा में हार की वजह योगेन्द्र यादव का मेवात में दिया गया बयान था। जिसकी बहुत आलोचना भी हुई थी। उस बयान से अन्य प्रदेशों की सीटों पर भी असर पड़ा। आम आदमी पार्टी का प्रमुख मुद्दा भ्रष्टाचार था। हम उससे भटक गये और हमने काँग्रेस, सपा, राजद, कम्युनिस्टों के सम्प्रदायिकता के मुद्दे को अपना मुद्दा बना लिया। इससे आम आदमी पार्टी ने जनता में अपनी विश्वसनीयता भी खो दी। अब इसके लिये दोबारा दुगनी मेहतन से संघर्ष करना होगा। भाई जो कपड़े जिसके नाप के होंगे उसे ही सूट करेगे, दूसरा पहनेगा तो जोकर ही लगेगा।
2. मुस्लिम वोट के लिये शाजिया इल्मी का बयान।
3. अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना।
4. बनारस से चुनाव लड़कर सारी शक्ति वही लगा देना।
5. विधान सभा में जहाँ जहाँ जहाँ से हारे थे, वहाँ हारने के कारणों पर मंथन न करना।
6. जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा।
7. विधानसभा क्षेत्र के प्रभारियों द्वारा केवल अपने अपने (परिवार या रिश्तेदार या जाति-बिरादरी) लोगों को आगे लाना।
8. जिन्हें जिम्मेदारी दी गई, वह सही काम कर पा रहे हैं या नहीं इसपर नजर न रखना आदि आदि।
9, कुमार विश्वास का बार बार यह कहना कि मैं ब्रह्मण पुत्र हूँ। कुमार विश्वास और पार्टी के लिये भी हानिकारक रहा। क्योंकि आम आदमी पार्टी के वोटर वह लोग थे जो धर्म और जाति की राजनीति से छुटकारा पाना चाहते थे। जिस आम आदमी पार्टी ने जनता को जगाया है यदि वही उसे साथ इस तरह धर्म और जाति की राजनीति करने लगे तो जनता स्वीकार नहीं कर सकती। कुमर विश्वास का बयान जातिवाद और साजिया इल्मी का बयान सम्प्रदायवाद का सबल बनाता है।
10. मीडिया की आलोचना करके उसे अपना नं. 1 का दुश्मन बना लेना।
1. मेवात में योगेन्द्र यादव का बयान। हरियाणा में हार की वजह योगेन्द्र यादव का मेवात में दिया गया बयान था। जिसकी बहुत आलोचना भी हुई थी। उस बयान से अन्य प्रदेशों की सीटों पर भी असर पड़ा। आम आदमी पार्टी का प्रमुख मुद्दा भ्रष्टाचार था। हम उससे भटक गये और हमने काँग्रेस, सपा, राजद, कम्युनिस्टों के सम्प्रदायिकता के मुद्दे को अपना मुद्दा बना लिया। इससे आम आदमी पार्टी ने जनता में अपनी विश्वसनीयता भी खो दी। अब इसके लिये दोबारा दुगनी मेहतन से संघर्ष करना होगा। भाई जो कपड़े जिसके नाप के होंगे उसे ही सूट करेगे, दूसरा पहनेगा तो जोकर ही लगेगा।
2. मुस्लिम वोट के लिये शाजिया इल्मी का बयान।
3. अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना।
4. बनारस से चुनाव लड़कर सारी शक्ति वही लगा देना।
5. विधान सभा में जहाँ जहाँ जहाँ से हारे थे, वहाँ हारने के कारणों पर मंथन न करना।
6. जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा।
7. विधानसभा क्षेत्र के प्रभारियों द्वारा केवल अपने अपने (परिवार या रिश्तेदार या जाति-बिरादरी) लोगों को आगे लाना।
8. जिन्हें जिम्मेदारी दी गई, वह सही काम कर पा रहे हैं या नहीं इसपर नजर न रखना आदि आदि।
9, कुमार विश्वास का बार बार यह कहना कि मैं ब्रह्मण पुत्र हूँ। कुमार विश्वास और पार्टी के लिये भी हानिकारक रहा। क्योंकि आम आदमी पार्टी के वोटर वह लोग थे जो धर्म और जाति की राजनीति से छुटकारा पाना चाहते थे। जिस आम आदमी पार्टी ने जनता को जगाया है यदि वही उसे साथ इस तरह धर्म और जाति की राजनीति करने लगे तो जनता स्वीकार नहीं कर सकती। कुमर विश्वास का बयान जातिवाद और साजिया इल्मी का बयान सम्प्रदायवाद का सबल बनाता है।
10. मीडिया की आलोचना करके उसे अपना नं. 1 का दुश्मन बना लेना।
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