Saturday, November 10, 2018

भाई हाफ़िज़ हो गया है ,....

भाई हाफ़िज़ हो गया है ,....
जगह बैंगलोर ,.... नाम शाहिदा ,.... भाई का नाम जुनैद ,.. पिता रज्जाक ,....
घर के पास ,... एक दुकान में लॉन्ड्री चलाते है ,.... काम काफी रहता है,..
आज दुकान पहुँच,.. कपडे उठाने,.. तो ,...
तो कपड़ों की तह,... कुछ अलग तरह से लगी थी ,.. पूँछा
किसने करे ,.... बोली भाई ने ,... पापा गाँव गये है ,..
वो थोड़ा ,.. सहमी हुई सी,... बोली -
अगर ठीक नहीं बने तो दुबारा कर देती हूँ ,... हमने कहा ,..
कपडे ही तो है ,... क्या फर्क पड़ता है ,.. छोड़ो !!
खैर - करे किसने थे ?? वो बोली ,.. भाई ने ,...
पूँछा ,.. अच्छा वो स्कूल जाता है ,... बोली नहीं ,... वो तो हाफ़िज़ हो गया है ,....
हमने कहा ,... हाफ़िज़????,.. अरे कितनी क्लास में ,...
उसने कहा,.. वो हाफ़िज़ हो गया है ,...
(हमने मतलब निकाला - शायद सारी कक्षा पास कर के - पारंगत हो गया है ,... पता नहीं,..सही की गलत )
खैर हमने आगे पूँछा ,... तुम स्कूल जाती हो ,...
वो बोली हाँ ,... हमने कहा तुम कौन सी क्लास में ??
वो बोली नहीं उर्दू स्कूल में ,... हमने कहा उर्दू स्कूल - मतलब मदरसा ??
वो बोली - नहीं उर्दू स्कूल ,...
हमने कहा ,.. अच्छा तुम्हारी कौन सी क्लास ,...
जवाब फिर वही ,.. उर्दू स्कूल ,...
हमने कहा ,... अच्छा पहाड़े आते हैं ??,... वो थोड़े अचरज सी हंसी ,...
हमने कहा ,.. पहाड़े मतलब ,... table ,.. बोली नहीं ,.. बस थोड़ा मुस्काती रही ,...
आगे हमने पूँछा ,... अच्छा पैसे कितने देने है बोली ,... 4 कम 100 ,..
हमने मन में ,.. पहाड़े तो इसको ,... जिंदगी ने सीखा दिए है ,..
स्कूल तो बस धोखा दे रहा है ,....
सोचते हुए ,... कपडे ले ,.. घर आ गए ,... और ,...
तुरंत आप सभी को बता दिया ,..
वैसे ,.. हाफ़िज़ का मतलब जो हमने समझा ,.. सही की गलत ??
और एक बात ,.. अच्छे अच्छे ,.. इंटरनेशनल स्कूल के,... इस उम्र के बच्चे ,... ना बता पायेंगे ,...
एक कपडे के 8 रूपये ,... कुल १२ कपडे तो पैसे कित्ते ??,...
सच है ,... जिंदगी ,... सबसे बड़ी गुरु है !! और स्कूल चाहे ये हों या वो हो ,... बस धोखा ही दे रहे है !! #NagShukl

Sunday, September 9, 2018

उस दिन की ही तो बात है ,....

उस दिन की ही तो बात है ,....
गर्मी की छुट्टी थी ,... दोपहर का समय ,..... गूलर का पेड़ और उसकी छाँव में - वो 5 नंबर का पत्थर ही तो था ,....
जिसपे कुछ बैठे थे ,... कुछ सामने दीवार से सटे खड़े थे ,... और कुछ उधर दीवार पर टेक ले खड़े थे ,..
शायद बिजली आ नहीं रही थी ,... धुप तेज़ थी,... लू भी ,.... आह स्वर्ग
हम्म्म ,.... स्वर्ग ,..
स्वर्ग क्या ???,....ओय ,... स्वर्ग वही था उल्लू !!

कोरा कागज़ ,...

कभी कभी सोंचता हूँ - लिख के ,.... ये लिख क्या दिया??,...
फिर ,.. मिटा के सोंचता हूँ ,... लिखा ही था तो मिटाया क्यों ??
लिख के मिटा तो दिया ,.. पर ,..
पर वो कागज़ - जो कोरा था ,... अब कोरा कहाँ ??
करूँ उस कागज़ को - कोरा कैसे ??
शायद वो कागज़ - कोरा ही महान है ,... जीने का आसार है ,....
उसी में है - लिखने की सम्भावनाएं अपार!
जो लिख गया ,... वो बिकेगा एक दिन,...
पान में लिपट,... या ,...
या मिलेगा किसी दिन ,.... समोसे के नीचे !!
कागज़ - जो कोरा है ,....
एक खुला आसमान,... धरती विशाल ,..... गहरा समंदर ,... उड़ता पंक्षी ,.. गमले की तुलसी,.... जंगल का बरगद ,...
मोहल्ले का गूलर ,... बुधई की नीम ,... नीम पर गिल्लू ,... वो क्या हो सकता है ,...
वो क्या - नहीं हो सकता ??,...
पर हो कुछ भी ,.. मिटना तो उसे भी है ,....
मिलेगा वो भी कभी ,.... यहाँ या वहाँ ,...
लिखा हो - ना लिखा हो ,.... अंत सभी का एक है ,...
जो लिखा है ,.. शायद उसे सुकूँ है - किसी ने तो पढ़ा है ,... पर दुःख शायद ,..
जो लिखा है - उसे समझा कहाँ ??
समझा नहीं शायद उसने - है कोरा कागज पास जिसके !!#NagShukl

Sunday, September 2, 2018

भगवान् श्री कृष्ण ,....

भगवान् श्री कृष्ण ,....
भगवान् श्री कृष्ण ,.... जब युद्ध से पहले दुर्योधन को समझाने गये ,... की तुम्हे ऐसे काम नहीं करने चाहिये - जिनसे युद्ध हो ,...
धर्म और अधर्म को समझो ,... जो तुमने किया वो गलत था ,.... जो तुम कर रहे हो वो भी ,....
तब ,..
तब दुर्योधन ने कहा ,...
माधव ,... धर्म क्या है - अधर्म क्या ,... सही गलत का - ज्ञान है मुझे ,...
बस दिक्कत इतनी है ,... की ,...

की धर्म का मार्ग पकड़ने की मेरी इच्छा नहीं और ,.. इस अधर्म का आनंद मैं त्याग सकता नहीं ,....
ये कुछ वैसा है ,... जैसे हम अपने दोस्त को समझायें ,...
सुन ,. गुटखा मत खाया कर ,... प्लीज़ दारू मत पियो ,.... और वो जवाब दे ,...
"अबे ज्ञान मत दे मुझे ,... सब पता है",...
खैर ,...
मतलब सिर्फ इतना है की ,...
की जब हम गलत कर रहे होते है ,... हमें अच्छी तरह ज्ञात होता है ,...
"हम गलत कर रहे है",....
और गलत कर देते है ,... जानते हुए की गलत है ,.... अर्थात ,...
गलत हम ,... जानबूझ कर करते है ,....
जो जानबूझ कर की गयी - गलतियाँ ,.... अक्षम्य है !!,...
और अक्षम्य का - दंड अनिवार्य है ,.... जो मिलता है और मिलेगा अवश्य !!,..
अंतिम बात - बस इतनी है की ,...
की वो क्या है ,...
वो क्या है जो हमें - जानबूझ कर गलत करने को मजबूर करता है ???
वो है हमारा ,... काम - क्रोध - मद - लोभ ,.....
जो मात्र इसलिए ,... क्योंकि - उस वक्त अपनी इन्द्रयों के स्वामी बनने की जगह - दास बन गए ,.... तो
तो ,... यदि मोक्ष पाने का रास्ता ,... धर्म है (जो सिद्ध है) तो ,...
तो मोक्ष पाने ,... उपकरण - कर्म ,... मात्र एक है ,...
मात्र एक ,.... और वो है ,... इन्द्रियों पर विजय !!,....
शायद - यही गीता का ज्ञान है ,... की,...
की मोक्ष आसान है ,... और ,... और है तुम्हारे हाथ ,....
खैर छोड़ो ,... मेरा क्या ,.. मैं तो पौधा हूँ ,...

प्रैक्टिकल गीता ज्ञान ,....
गीता का सार ,... वैसे तो गीता का सार बता पाने की क्षमता,... शायद हम मनुष्यो में है ही नहीं ,....
फिर भी ,... कुछ महामानव अपनी अपनी - समझ के अनुसार कुछ न कुछ बता ही देते है ,.. तो ,..
पहली बात ,...
पहली बात तो ये की ,... जो सबसे प्रचलित गीता सार है ,.... वो है की ,..
"कर्म करो - फल की चिंता किये बिना",...
देखा जाये तो कितना सटीक है ,... यदि आप फल चिंता करेंगे - तभी कर्म से आसक्ति उतपन्न होगी ,.. तभी दुःख होगा - तभी सुख होगा और मोक्ष ,..
और मोक्ष,...
मोक्ष दुःख - सुख से परे,... की ही स्थिति,.. का ही नाम है ,....
खैर ,... अब व्यवहारिक बात ,...
यदि फेसबुक पर पोस्ट करते ,... ट्विटर पर ट्वीट करते ,... हम ये सोंचना छोड़ पायें ,..
इसे कितने लाइक, शेयर, रीट्वीट, कमेंट मिलेगा ,... कौन इसको लाइक करेगा - कौन कमेंट ,...
किसको इससे फायदा होगा - किसको इससे नुक्सान ,...
तभी ,...
हाँ तभी ,.. और सिर्फ तभी ,...
हम वो लिख पायेंगे जो हमारे मन का सत्य है ,....
और मोक्ष ,....
मोक्ष तो मात्र सत्य में है - धर्म में है !!,..
छोड़ो ,... मेरा क्या - मैं तो पौधा हूँ ,... चलो बोलो ,..
"जय श्री कृष्ण",...
श्री कृष्ण गोविन्द - हरे मुरारी ,... हे नाथ नारायण वासुदेवा !! #Nagshukl

मैं ब्राम्हण हूं

मैं ब्राम्हण हूं
जब मैं पढ़ता हूँ और पढ़ाता हूँ
मैं क्षत्रिय हूँ
जब मैं अपने परिवार की रक्षा करता हूँ
मैं वैश्य हूँ
जब मैं अपने घर का प्रबंधन करता हूँ
मैं शूद्र हूँ
जब मैं अपना घर साफ रखता हूँ
ये सब मेरे भीतर हैं, इन सबके सयोजन से मैं बना हूँ

वस्त्तुतः सच यही है कि हम सुबह से रात तक इन चारो वर्णो के बीच बदलते रहते हैं।

अंग्रेजों में ,.... जो सोने का काम करता है वो Goldsmith है ,....
हिन्दुस्तान में ,.... वो सुनार है ,....
और ,...
अंग्रेजों में ,.... जो भेड़चारता है वो Shepard है ,....
हिन्दुस्तान में ,.. वो गडरिया ,....
कौन,... है कौन???- जो कहता है ,....

हिन्दू में - हिन्दुस्तान में ,.... जातिवाद है ???
गर है तो ,..
तो,... निश्चित रूप से वही है ,... जो सब जगह है ,...
preacher + Teacher = ब्राम्हण Isn't it??

Tuesday, March 20, 2018

Collection

“मैं गया था सोच के, बातें बचपन की होंगी, दोस्त मुझे अपनी तरक़्क़ी सुनाने लगे।”

किसको बर्दाश्त है "साहेब" तरक़्क़ी आजकल दुसरो की लोग तो मय्यत की भीड़ देखकर भी जल जाते है

"वो दोस्त मेरी नज़र में बहुत ‘माईने’ रखते है, जो वक़्त आने पर मेरे सामने ‘आईने’ रखते हैं।"

आँखें ही थी जो कह गयी सब कुछ ... लफ्ज़ होते तो मुक्कर गए होते ...

सिर्फ शब्दों से न करना किसी के वजूद की पहचान हर कोई उतना कह नहीं पाता जितना समझता और महसूस करता है...

पर्वतों की तरह खामोश हैं, आज के संबंध और रिश्ते..! जब तक हम न पुकारें... उधर से आवाज़ ही नहीं आती..!!

“मुस्कुरा कर दर्द को सहना क्या सीख लिया सबने सोच लिया हमे तकलीफ ही नही होती”

उम्र भर ग़ालिब यही भूल करता रहा . धूल चेहरे पर थी ,आइना साफ़ करता रहा !!

फिसलती ही चली गई एक पल रुकी भी नही अब जाके महसूस हुआ रेत के जैसी है ज़िन्दगी

मुद्दतें लगीं बुनने में ख्वाबों का स्वैटर.. जब तैयार हुआ तो मौसम बदल चुका था..

"सुकून वो था जब" होठों पे मुस्कान थी... कंधो पे बस्ता था सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था ....

“बचपन में पापा की लगायी बंदिशो को तोड़ने में बहुत मज़ा आता था, अब बड़े होकर ख़ुद पर लगायी बंदिशें तोड़ी नहीं जाती.”

“कितना जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में, मेरे मुस्कुराने पर जिसने पूछ लिया तुम उदास क्यूँ हो.”
 
 
 

Monday, March 19, 2018

विश्व गौरैया दिवस (#WorldSparrowDay) पर फोटो दिखाने की कोशिश

आजकल तो हर बात की फोटो खिंच जाती है ,.... क्या हुआ, कैसे हुआ - इसके लिए फोटो ढूंढी जाती है ,... पर ,...
पर बचपन में,...
कुछ फोटो आँखों ने खींची थी ,...
वो फोटो जो आँखों ने खींची थे उन्हें किसी को दिखा पाना मुश्किल - लेकिन ढूंढना बहुत आसान ,...
आज ,...
आज विश्व गौरैया दिवस (#WorldSparrowDay) पर ऐसी ही फोटो दिखाने की कोशिश ,....
महीना चैत्र - बैशाख का ,.... समय दोपहर के खाने का ,... थाली ,...
थाली में ,..
शानदार (चैतुई) अरहर की दाल ,... घी लगी रोटी ,... आलू के साथ कोई सूखी सब्जी और चावल ,...
बगल में,...
मिटटी की चकती पर रखी थोड़ी सी अगियार और एक छोटी थाली ,... उस रखी कई छोटी - छोटी रोटियाँ ,...
छोटी - छोटी रोटियाँ ,....
एक,... अगियार (हवन) के लिए ,...
एक,... गाय के लिए ,...
एक,... कुत्ते के लिए ,...
एक,... कौवे के लिए ,...
और भोजन की शुरुवात ,... भोजन मन्त्र के साथ ,...
हवन की समाप्ति ,.... "नैवेद्यं समर्पयामि" के साथ ,...
निवाला तोड़ने से पहले ??,... गाय की रोटी ,... गाय को पहुँची ,...
कौवे की कौवे को ,... और कुत्ते वाली - कुत्ते को ,...
पर ,...
पर क्या हमारी प्यारी चिरैया ,....
हमारी प्यारी चिरैया ,....वो गौरैया ,.. वो गौरैया क्या भूखी ही रहेगी ??
उसकी तो कोई रोटी नहीं ,....
ना जी ,... वो हमारी प्यारी चिरैया है - गौरैया है ,... वो भला कब फेंके हुए दाने खाती थी ?? वो तो ,..
वो तो ,.. थाली की बाट पर बैठ ,... थाली के चावल ही ले जाती थी ,... बेझिझक ,... निडर - अधिकार के साथ ,...
साझा हुआ करता है ,....
प्यारी चिरैया का ,... थाली में हमारी!!
बस ,.. यही फोटो ,... बस यही फोटो है जो आँखों में है ,.. जब याद आती है गौरैया की ,...
कोशिश की ,... की आप भी देख लो ,....
पर शायद ,...
पर शायद ,... आपके लिये इस फोटो पर विश्वास करना उतना मुश्किल ना हो ,... जितना आने वाले समय में बच्चो को बता पाना मुश्किल होगा की ,..
की ये कोई झूठी कहानी नहीं ,..... दैनिक दिनचर्या थी हमारी - तुम्हारी ,....
प्यारी गौरैया ,....पुराना घर टूटा ,... उसके साथ उजड़ी वो भी ,...
घर हमारा दुबारा बना ,...
वो धन्नी - वो छपरे अब नहीं ,... वो आँगन - वो चौके अब नहीं ,...
अब लेंटर है ,... फाइबर सीट है ,...
किचन और ड्राइंग रूम पर ,... डाइनिंग टेबल है ,....
घर हमारा - बना दुबारा ,... बसा दुबारा ,....लेकिन ,...
लेकिन वो हमारी प्यारी चिरैया ,.... हमारी प्यारी गौरैया ,...
उसका घर खो गया ,...
उसे थाली की बाट पर बैठ - खाना पसंद था ,.... शायद ,.. ये डाइनिंग टेबल अच्छा ना लगा ,...
उसे धन्नी के छेद में रहना पसंद था ,... रहने को कमरे हमारे पसंद नहीं ,...
उसे खुले आँगन में चहचहाना पसंद था ,... ड्राइंग रूम में बैठ - टीवी देखना नहीं ,...
शायद ,...
शायद ,... इसिलये ,... वो छोड़ गयी ,.. हमें ,.. हमेशा के लिए ,...
वो बोली थी जाते - जाते ,... पर सूना नहीं था हमने ,...
वो बोली थी ,...
वो बोली थी ,... ये लेंटर की छत नहीं ,... वो AC लगा ड्राइंग रूम नहीं ,...
मुझे ,..
मुझे तो ,... वो धन्नी की खोह,.... खुला आँगन और थाली की बाट ही चाहिये ,...
वो नहीं आयेगी ,...
वो नहीं आयेगी ,... मेरे पास रहने ,.... मेरे साथ इस विकास में ,...
वो साथी है मेरे सुकून की ,.... वो साथी नहीं विकास की ,...
इस धत्त तेरे ,.. विकास की !! #NagShukl