Sunday, January 6, 2013

ये दौर नहीं है रुकने का, ये दौर नहीं है झुकने का

ये दौर नहीं है रुकने का, ये दौर नहीं है झुकने का
हो चुका है शंखनाद, अब तो बस रण ही रण है
भ्रष्टाचार की लड़ाई का अब आ गया निर्णायक क्षण है
जनता का, जनता को, जनता के लिए ये आमंत्रण हैं
मूक दर्शक नहीं हो तुम
तुम्हारे मूक होने को
इन लोगों ने गूंगा बहरा मान लिया
कभी न बहने वाला पानी ठहरा मान लिया
इन्हें बता दो, जब भी प्रलय आया है
जब भी दुनिया बदली है
पानी ने अहम् किरदार निभाया है
दुनिया गर इसे हिमाकत कहे तो, हाँ हमें ये हिमाकत करनी होगी
अब हमें खुद खड़े होकर, खुद की वकालत करनी होगी
माना सच की लड़ाई में, कुछ अपनों से ही खिलाफत करनी होगी
अब जनता को ही लोकतंत्र की हिफाज़त करनी होगी . . .[ सोमेश खरे ]

Saturday, January 5, 2013

सब से खतरनाक होता है ' सपनो का मर जाना'


दोस्तों, किसी भी व्यक्ति के बारे में आपकी अपनी राय हो सकती है ....होनी भी चाहिए ..और यह वक्त वक्त पर ...उसके काम और व्यवहार के आधार पर बदलती रहती है
ये है आशुतोष जी, जो की IBN 7 के एक बड़े पत्रकार है ....और में इनकी काफी इज्ज़त करता हूँ ....
इन्होने पूरे अन्ना आन्दोलन को कवर किया ...एक किताब भी लिखी ...
मैंने कई बार पाया है ..इनको मुखर होकर बहस करते हुए ....कई बार ...सुना है वो जो मैं कहना चाहता था ...इनके मुंह से ...

अभी हाल में ही ....24 दिसम्बर को ...अपने tweet में कहा था की ...."अब बीजेपी के नेताओं को यह मान लेना चाहिए की वो विपक्ष का सही रोल नहीं निभा रहे "
इन्हें सच बोलने की आदत है , गलत होता देख आँखे बंद कर बर्दाश्त नहीं करते , शायद इनकी सचाई इन पर भारी पड़ रही है ,
सब से खतरनाक होता है '
सपनो का मर जाना'
तब ऐसी शायरी करते पाए गए ,
अब पता नहीं कहा क्या लिख रहे होंगे ,कुछ दिन पहले इन्हें आखरी बार इंडिया गेट पर दामिनी के लिए इंसाफ मागते हुए देखा गया था , उस दिन के बाद ये गुम हो गए , अगर ये किसी को मिले या आप कही देखे तो इन्हें सिर्फ इतना बता देना ,

आप के बिना ibn7 देखने का मन नहीं करता ,
ibn7 फीका फीका लगता है ,
सब आप को बहुत याद करते हैं ,
सब जानना चाहते हैं आप कहा पर हैं ,

हमे उम्मीद है ये हमे जलद ही मिल जायेंगे , जय हिन्द
और बस ...तब से आज तक मैंने नहीं देखा इनको टीवी पर ...
IBN 7 पर रात 8 बजे एक program आता है ....Agenda with Ashutosh .....पर पिचले 10/12 दिन से एजेंडा तो होता है ....पर आशुतोष नहीं ...क्योँ क्या हुआ ...कुछ पता नहीं ....नागेन्द्र शुक्ल
http://khabar.ibnlive.in.com/blogs/16/762.html




 

Thursday, January 3, 2013

सर्द हवाओं में मोमबत्तियों बुझती रही,............लेकिन लोग उन्हें जलाते रहे,.

अकसर सुना था की हमारे देश का युवा बिगड़ रहा है .....भटक रहा है ....कुछ ज्ञानी ...आज भी सड़क के किनारे ...चलते फिरते बोल ही देंतें है ...की कुछ नहीं हो सकता इस देश में .....
हाँ ये सब सही थे ...शायद पूरी तरह से सही थे ....पर सिर्फ तब तक,... जब तक आप जागे नहीं थे ....जब तक ...आप इस अंधेर से लड़ने ....घर से निकल जंतर मंतर भागे नहीं थे ....
पर आज नहीं ....अब हो रहा है ...विस्वास ..की बदलेगा ...यह सब .....और जल्दी ही ....

देखने की बात है ...की कल ही दिल्ली से दूर ...असम में जनता ने कर दी पिटाई ...कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह ब्रह्मा की ...जिसने किया एक महिला से बलात्कार किया .
आज रांची में ......छेड़खानी का विरोध करते ...दे दी ....बहन दामिनी के एक ...भाई ने अपनी शहादत ......और घायल हो गए ...तीन दूसरे भाई .....
लड़ रहा है ....इस देश का युवा ...हर जगह .....पूरे देश में .....और अभी भी ...संगीनों के साये ...में रहने वाले ....
सोच रहें है ...की वो जीत जायेंगे .....कामयाब हो जायेगें ...आपको धोखा देने में
जमें हैं दो जागे हुए आम आदमी राजेश गंगवार और बाबू सिंह जो बैठे है ....लगातार अनशन पर .सैकड़ो युवक ...जमे है जंतर मंतर पर आज भी।
कल ही बात करते ही .....दिल्ली पुलिस ने जबरन उठा लिए करीब 60 आन्दोलनकारियों को जंतर मंतर से ...ले गए ...मंदिर मार्ग थाने मे ..दल कर बस में ... थोडा बहुत ...मारना पीटना ...तो इनकी आदत है ....पर आपकी एक जुटता के आगे ....छोड़ना पड़ा
अब कोई बच्चा ऐसा करता तो बोलते बदमाशी है ....पर पता नहीं ..क्या ख़ास बात हुई की कल ...जंतर मंतर ....के सिर्फ उन 6 बिजली के खम्भों की ....बिजली चली गयी ...जहाँ सिमटे प्रदर्शनकारी ....बैठे लड़ रहे थे .....
देश मे पसरे ....अव्यवस्था के अन्धकार से ...नेताओं की ठंडी सोंच से ......
सर्द हवाओं में मोमबत्तियों बुझती रही,............लेकिन लोग उन्हें जलाते रहे,......नागेन्द्र शुक्ल

जनता क्योँ न जाये ...जंतर मंतर ....

सर्द हवाओं में मोमबत्तियों बुझती रही, लेकिन लोग उसे जलाते रहे।,.....
दो जागे हुए आम आदमी उत्तर प्रदेश के बरेली के शास्त्री नगर निवासी 50 वर्षीय राजेश गंगवार और ....उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद के बाबू सिंह
जो बैठे है ....लगातार अनशन पर ...दिल्ली की इस ठण्ड में (3 डिग्री न्यूनतम) ...और सैकड़ो युवक ...जमे है जंतर मंतर पर आज भी
क्या रिश्ता है इनका ...हमसे ...क्योँ बैठे है ....हमारे लिए ....वो भी तब ...जब सारे नेता किसी तरह समझाने में लगें है ...की देंगे फाँसी ...इन अपराधियों को .....

पर ऐसा क्या है ...फिर भी यह दो और सैकड़ो युवक ...जमे है जंतर मंतर पर आज भी ......कारण तो है ...और जायज भी ....
एक तो हमारे देश के नेता अब ....भरोषे के लायक नही रहे ......ये लगातार और बार धोखा देते ही ...हमको और आपको .....और अब सजग जनता के सामने हो चुके है ये पूरी तरह नंगे .....

नहीं होता भरोषा हमें ...इन पर ...क्योँ ?.....
क्योकि ....चाहे भले ही कर दी हो ......इन्होने बहन दामिनी की ...चिता की राख ठंडी .....पर जल रही ...उसकी जलाई लौ ...आज भी ....और कर रहें है .....सैकड़ो युवक,....इस लौ की हिफाज़त बड़ी शिद्दत से ....
अकसर सुना था की हमारे देश का युवा बिगड़ रहा है .....भटक रहा है ....कुछ ज्ञानी ...आज भी सड़क के किनारे ...चलते फिरते बोल ही देंतें है ...की कुछ नहीं हो सकता इस देश में .....
हाँ ये सब सही थे ...शायद पूरी तरह से सही थे ....पर सिर्फ तब तक,... जब तक आप जागे नहीं थे ....जब तक ...आप इस अंधेर से लड़ने ....घर से निकल जंतर मंतर भागे नहीं थे ....
पर आज नहीं ....अब हो रहा है ...विस्वास ..की बदलेगा ...यह सब .....और जल्दी ही ....

कल ही बात करते ही .....दिल्ली पुलिस ने जबरन उठा लिए करीब 60 आन्दोलनकारियों को जंतर मंतर से ...ले गए ...मंदिर मार्ग थाने मे ..दल कर बस में ...बी थोडा बहुत ...मरना पीटना ...तो इनकी आदत है ....पर आपकी एक जुटता के आगे ....छोड़ना पड़ा
अब कोई बच्चा ऐसा करता तो बोलते बदमाशी है ....पर पता नहीं ..क्या ख़ास बात हुई की कल ...जंतर मंतर ....के सिर्फ उन 6 बिजली के खम्भों की ....बिजली चली गयी ...जहाँ सिमटे प्रदर्शनकारी ....बैठे लड़ रहे थे .....
देश मे पसरे ....व्यवस्था के अन्धकार से ...और नेताओं की ठंडी सोंच से ......

सरकार पूरी कोशिश में है ...की किसी तरह आन्दोलन ख़त्म हो ...पर जनता है की उसको भरोषा ही नहीं हो रहा है .....और हो भी कैसे ....
कल जो BJP और नेता  ...दम भर कर कह रही थी ....की फाँसी होनी चाहिए .....कड़ा कानून बनाना चाहिए .....अब भाग रहें हैं ...पीछे ....बदल रहें है चाल .....

अब इस जघन्य कांड का ...मुख्य ...सूत्रधार ..नाबालिग है ...ऐसा कहा जा रहा है ....तो बस 2 साल की सजा हो सकती है .....और बांकी ..बांकी का क्या ....दे देंगे ..अगर उनको फांसी भी ....तो उसी सड़े हुए पुराने कानून ....और व्यवस्था के अंतर्गत ....302 के तहत .....और करेंगे ....हमें धोखा देने की ...देखो दे दी फांसी .....
हमे सिर्फ फांसी नहीं ...पूरी पक्की व्यवस्था चाहिए ...की कोई ना सोंच सके ऐसा करने की ...दोबारा ....
कुछ ज्ञानी नेता ....बाँट रहें है ज्ञान ...की हो सकता है ...कड़े ...कानून का दुरूपयोग ....तो क्या इनकी अकाल घास चरने गई है ....वैसे है कहाँ जो जाएगी चरने ....
चलो हम ही कुछ सोंचते है ....की क्या किया जाये की ...कद कानून बने ...और उसका दुरूपयोग भी रोक जा सके .....आप भी दो अपने सुझाव की ...कैसे किया जाये .......नागेन्द्र शुक्ल

अब जनता क्योँ न जाये ...जंतर मंतर ....देखो नेताओं के अजीबो गरीब बयान ...लगातार जारी है ......
महिलाओं को अपनी सीमा नहीं लाँघनी चाहिए - बीजेपी लीडर कैलाश विजय वर्गीय - इन्दोर उद्योग मंत्री
बलात्कार की घटनाएँ India में ज्यादा होती है .....भारत में कम - भगवत
अभिजीत मुखर्जी - dented pented

Tuesday, January 1, 2013

..एक कड़ा और सुरक्षित कानून बनाया जा जाये ...और एक कोई यादगार स्तम्भ भी ..

अभी सुना शशि थरूर  जी ने एक नए विवाद को जन्म दिया ....कहा की दामिनी का असली नाम जाहिर किया जाना चाहिए - अगर बहन दामिनी के परिवार की सहमति हो ....
हलाकि इस बयान से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है ....और BJP जो इस तरह के मामले में ही विरोध करती है .....आशा के अनुरूप अपने विपक्ष धर्म को निभाया ...
और AAP की और अरविन्द जी राय क्या है इसमें,...अभी मुझे पता नहीं .....वैसे भी अरविन्द जी ....फीते काटने ..फोटो लगवाने ...नाम लिखवाने से ज्यादा काम की ही बात करतें है ....
और AAP की तो ख़ास बात ही यही है की अपनी राय  थोपती नहीं है ......इसीलिए बुलाया है आपको ....और पूंछा है आपसे ...की बताइए आपकी राय है ...
खुली चर्चा के लिए: छात्र-युवा सम्मेलन गोपाल राय के साथ 2 जनवरी, 2013 शाम 4 बजे नवशक्ति सनियर सेकेड्री स्कूल, मिन्टो रोड, दिल्ली. संपर्क करे 9971603010 / 9971603070

पर सुना है की किरण बेदी जी ने इसका समर्थन किया ....और एक सकारात्मक सोंच बताई ...तो मैं भी कोशिश करता हूँ पानी राय बताने की .....
मेरी राय  में ....एक कड़ा और सुरक्षित कानून बनाया जा जाये ....और अगर बहन दामिनी के माता - पिता की अनुमति हो तो वो कानून ....उन्ही के नाम से बनाया जाये .....और एक कोई यादगार स्तम्भ भी ......

पर मेरा सोंचना पक्ष में इसलिए है ...की जब भी इस कानून की बात होगी ...दामिनी की बात होगी .....फिर इस जाग्रत और समझदार .....युवा ...आन्दोलन की बात होगी .....और अगर जल्द और फांसी देते हैं ...इन घिनौने ...अपराधीयों की सजा की बात होगी .....
यह भी बात होगी ....की आज़ाद भारत के ....इतिहास में ....पहली बार जनता के दबाव में ....जनता ने कोई कानून बनवाया .......कैसे लोक ने ...मजबूर किया ..तंत्र को ...सुनने में ....
मुझे ठीक लगता है .....अब हम मैडम क्युरी को ....क्यों जानते है ....क्योंकि क्योंकि यह एक मात्रक है ........हम न्यूटन को ...भी इतना ज्यादा ...उनके contribution से जानते है ....
पता नहीं आपका विचार क्या है ....जो मैं जानना चाहता हूँ ?....नागेन्द्र शुक्ल
अब शशि थरूर जी यह भी बता देते की कानून ...कब तक बना देंगे ......कैसा स्वरुप होगा तो अच्छा रहता ....

सरकार दरअसल दामिनी की निजता नहीं, इसी क्रांति के प्रतीक को छिपाना चाहती है। वह नहीं चाहती कि नेहरुओं और गांधियों को टक्कर देता कोई ऐसा स्मारक भी खड़ा हो जाए, जो जनता का हो। यह बलात्कार की शिकार किसी आम लड़की की कहानी नहीं है, जिसे सामाजिक अपमान और क्लेश से बचाने के लिए निजता के नियम को बनाया गया है। उस लड़की के सभी संबंधी उसे जानते हैं, उसका गांव, उसका मोहल्ला उसको जानता है।

फिर यह सरकार किससे उसकी पहचान को छिपाना चाहती है? एक मिनट के लिए मान लीजिए कि उस लड़की का नाम राधा था। आप जान गए कि उस लड़की का नाम राधा था, तो उसकी निजता कैसे खंडित हो सकती है? आप तो उसे पहले भी नहीं जानते थे और अब भी नहीं जानते। यह जनता को बेवकूफ बनाने के लिए गढ़ा गया सिद्धांत है, जिसमें मीडिया को भी शामिल कर लिया गया है। उस बहादुर लड़की ने कोई पाप नहीं किया है कि उसकी पहचान छिपाया जाए।

गड़बड़ तो है ......कहीं ना कहीं ......पर है क्या समझ नहीं आ रही ...

सबसे बड़ी परेशानी ये है की आज हमारा समाज ....पूरी तरह से अर्थ (पैसे ) पर आधारित है,...हमारा सामाजिक स्तर सिर्फ पैसे पर आधारित हो गया है  ......
पैसे से ताकत ....पैसे से ज्ञान ...पैसे से मान सम्मान ..पैसे से यौग्यता ..पैसे से कुशलता .....
तो बस हर तरफ है पैसे की चाहत ......पैसा नहीं तो TV ...मोबाइल नहीं .....लैपटॉप फेसबुक नहीं ...दोस्त नहीं ....विचार नहीं ....
कुछ साल पहले मेरे दोस्त .....मेरे गाँव में, शहर में ...गली मोहल्ले में ..... होते थे .....जब चोरी छिपे पहली बार सिगरेट पी .....और गली के लड़के को पता चली ....अगले दो महीने तक ...धमकी दी ....इससे बता दूंगा ....उससे बता दूँगा ....हुआ डर ..समाज का .....की कहीं पता न चले ....पापा को घरवालों को .....गली मोहल्ले वालों को ......टल गई यह बुरी आदत ...जब तक रहे ...अपने गली मोहल्ले में .....
अब दोस्त गली से हट सिमट गए है gadget में ......किसी से कोई भी बात करी ....कैसा भी ब्यवहार किया ......नहीं जमी तो प्रोफाइल को delete किया .....
फिर नया ...प्रोफाइल .....नया चेहरा ...नया चरित्र ....
ना दोस्त का डर ....ना गली मोहल्ले वालों का .....कम होता गया ...सामाजिक दबाव ....
घर के पापा मम्मी .....बस लगें है ...पैसे कमाने ......बतातें है बच्चो को  ......की कमा रहें है ...इज्ज़त ......
बच्चे के संस्कार ......लोगों की तुलना ....अजीब आज ही किसी ने बताया .....मेरे बच्चे ने 2.5 साल की उम्र में ....लैपटॉप में KBC खेलना सीख लिया .....
पता नहीं ...अब इस बच्चे को ...कब समय मिलेगा ....दोस्त बनाने का ......समाज ....और सामाजिक जिम्मेवारी को समझने का .....
गड़बड़ तो है ......कहीं ना कहीं ......पर है क्या समझ नहीं आ रही ....?...आप कुछ मदद करो .....नागेन्द्र शुक्ल
अंत में एक बात ......हम जितने जतन से पैसे कमाने की कोशिश करते है .....थोडा जतन .....अपने बच्चो के संस्कार बनाने में भी करो .....बच्चे की पहली किसी भी गलती में ...सजा देने की जगह, उनसे प्रायश्चित कराएँ ...
आपके विचार आमंत्रित हैं .....

दे सकते हो .....नव वर्ष नहीं ....... नव जीवन दे दो.....



उड़ते फिरते उन्मुक्त  गुब्बारे ....
सरल सहज .......लगते प्यारे ....
है रंग समेटे कितने सारे ....
चमक, तरलता साथ लिए .....
है छड़ भंगुर ....जीवन इनका ...
इनके रंग .....इनका जीवन .....
क्योँ कर तेरे हाँथ रहे .....
उड़ने दो उन्मुक्त हवा में .....
बिखरने दो .....ये रंग फिजा में ....
नव वर्ष नहीं .......नव जीवन दे दो ...
नव चेतन ...नव विस्वास जगा दो ....
इनके भय को दूर भगा दो ....
तुम दे सकते हो .....
जीवन दे दो ....
उड़ने की आज़ादी दे दो ......
स्वस्थ हवा का ...झोंका दे दो ....
बड़े जतन से  ....पाला इनको ...
जीने का अधिकार भी दे दो ....
नव चेतन ...नव विस्वास जगा दो ....
दे सकते हो .....नव वर्ष नहीं .......
नव जीवन दे दो.........................नागेन्द्र शुक्ल